
सारंगढ़-बिलाईगढ़ mtvindiavoice :-
छत्तीसगढ़ शासन ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में आबकारी विभाग से 12,500 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य तय किया है। लेकिन जानकारों और सामाजिक विश्लेषकों का मानना है कि यह लक्ष्य प्रदेश की वास्तविक क्षमता से आधे से भी कम है। यदि शासन दूरदर्शी नीति अपनाए और शराब व्यवसाय को पारदर्शी एवं नियंत्रित बनाए, तो यह राजस्व 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये तक पहुँच सकता है।
महुआ शराब: अनदेखा संसाधन, बढ़ता खतरा
ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80% लोग महुआ से बनी देशी शराब का सेवन करते हैं, लेकिन यह क्षेत्र अब भी शासन के नियंत्रण से बाहर है। नतीजतन, अवैध धंधे फल-फूल रहे हैं, नकली शराब के सेवन से लोग बीमार पड़ रहे हैं और कई बार जान भी गंवा रहे हैं। यदि शासन महुआ की खरीद को उचित मूल्य पर सुनिश्चित कर, गुणवत्तापूर्ण शराब स्वयं तैयार करे और हर 5 किलोमीटर पर लाइसेंसी दुकानें खोले, तो अवैध व्यापार पर अंकुश लग सकता है।
राजस्व का स्रोत या अपराध का द्वार?
आज प्रदेश में 741 वैध शराब दुकानें और लगभग 700 बार-पब हैं, लेकिन अवैध रूप से 10,000 से अधिक स्थानों पर शराब बेची जा रही है। इस अनियंत्रित प्रणाली से न केवल शासन को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि समाज में अपराध और गुंडागर्दी को भी बढ़ावा मिल रहा है।
जिम्मेदार नीतियों की दरकार:-
शासन को चाहिए कि वह आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार करे। यदि देशी-विदेशी शराब की कीमतें उचित स्तर पर लाई जाएं और महुआ को वैध व्यापार में शामिल किया जाए, तो प्रदेश को न केवल राजस्व की दृष्टि से फायदा होगा, बल्कि समाज में स्वास्थ्य, सुरक्षा और शांति की दिशा में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।
छत्तीसगढ़ की आबकारी नीति को अब ‘राजस्व और सामाजिक उत्तरदायित्व’ के संतुलन पर खरा उतरना होगा। यह समय है जब शासन जिम्मेदारी के साथ निर्णय ले और शराब से जुड़ी हर प्रणाली को पारदर्शी, सुरक्षित और लाभकारी बनाए।
Gopi Ajay