
प्रशासनिक चुप्पी के बीच ग्रामीणों का फूटा आक्रोश, जनहानि से पहले मरम्मत की मांग
सरसींवा (सारंगढ़-बिलाईगढ़)/mtvindiavoice :- जिला मुख्यालय सारंगढ़ से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भिनोदा से गगोरी और गौरडीपा से धनगांव-खपरिडीह मार्ग की हालत बेहद चिंताजनक और भयावह हो चुकी है। इन दोनों ग्रामीण सड़कों पर जगह-जगह एक-एक फीट गहरे गड्ढे बन चुके हैं, जिससे आए दिन वाहन दुर्घटनाएँ हो रही हैं और लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है। भिनोदा से गगोरी जाने वाला मार्ग पूरी तरह उखड़ चुका है। यह गगोरी ग्रामवासियों का मुख्य संपर्क मार्ग है, जिससे वे सरसींवा, अस्पताल, बाजार तक पहुँचते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि बारिश आ जाए, तो गगोरी से बाहर निकलना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। इस स्थिति में बीमार, गर्भवती महिलाएं या दुर्घटना के शिकार व्यक्ति तक अस्पताल नहीं पहुँच पाएंगे। इसी तरह गौरडीपा से धनगांव और खपरिडीह जाने वाला मार्ग भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। दुपहिया वाहन चालकों और स्कूली बच्चों के लिए यह रास्ता बेहद खतरनाक हो गया है। हर दिन किसी न किसी के गिरने या चोटिल होने की खबरें अब सामान्य हो चुकी हैं।
PWD बना मौन दर्शक, सरपंच की मांगें अनसुनी:- भिनोदा के सरपंच ब्रिज किशोर अजगल्ले ने कई बार PWD भटगांव के इंजीनियरों से मार्ग मरम्मत के लिए निवेदन किया है, लेकिन हर बार केवल “प्रशासनिक स्वीकृति बाकी है” कहकर बात को टाल दिया गया। न इमरजेंसी फंड से रिपेयरिंग की जा रही है, न ही DMF फंड का उपयोग।
क्या किसी की मौत के बाद जागेगा प्रशासन :- स्थानीय लोगों का सवाल है कि क्या अधिकारी और जनप्रतिनिधि किसी बड़ी जनहानि या मृत्यु का इंतज़ार कर रहे हैं? क्या बजट और स्वीकृति की प्रक्रिया इतनी महत्वपूर्ण है कि जान बचाना बाद में सोचा जाए? ग्रामीणों की मांग है कि DMF या अन्य आपदा राहत निधि से तत्काल मरम्मत कार्य शुरू किया जाए। यदि 15 दिनों के भीतर कार्य प्रारंभ नहीं होता, तो वे सड़क जाम, धरना और जिला कार्यालय घेराव जैसे आंदोलनात्मक कदम उठाने को मजबूर होंगे स्थानीय लोगों का सवाल है कि क्या अधिकारी और जनप्रतिनिधि किसी बड़ी जनहानि या मृत्यु का इंतज़ार कर रहे हैं? क्या बजट और स्वीकृति की प्रक्रिया इतनी महत्वपूर्ण है कि जान बचाना बाद में सोचा जाए? ग्रामीणों की मांग है कि DMF या अन्य आपदा राहत निधि से तत्काल मरम्मत कार्य शुरू किया जाए। यदि 15 दिनों के भीतर कार्य प्रारंभ नहीं होता, तो वे सड़क जाम, धरना और जिला कार्यालय घेराव जैसे आंदोलनात्मक कदम उठाने को मजबूर होंगे।