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Tuesday, July 1, 2025

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ग्राम पंचायत मंधाईभाठा में सरपंच की दबंगई और फर्जीवाड़ा! पंचों ने लगाए गंभीर आरोप, कहा – “लोकतंत्र की खुली हत्या हो रही है”

सरसींवा (सारंगढ़-बिलाईगढ़)mtvindiavoice :- ग्राम पंचायत मंधाईभाठा इन दिनों भारी विवादों में घिरी हुई है। यहां के निर्वाचित पंचों ने सरपंच दीनानाथ जाटवर और पंचायत सचिव पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पंचायत में बिना वैध प्रस्तावों के लाखों रुपए की राशि निकाली जा रही है। पंचों का आरोप है कि पंचायत के नाम पर फर्जी प्रस्ताव बनाकर सीसी रोड निर्माण, पूर्व पंचों का मानदेय भुगतान और जनसंपर्क के नाम पर विकास निधियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। पंचों ने यह स्पष्ट किया कि इन कार्यों को लेकर पंचायत की किसी भी बैठक में कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया, न ही इन्हें ग्रामसभा की स्वीकृति मिली है। पंचों का कहना है कि 19 सदस्यीय पंचायत में से केवल कुछ पंचों को ही बुलाकर मनमाफिक निर्णय लिए जा रहे हैं, जबकि शेष 12 पंचों को जानबूझकर बैठक की सूचना नहीं दी जाती।

पंचो को धमकाने का आरोप “तुम लोग मेरा कुछ नि कर सकते”:-

पंचों ने बताया कि जब उन्होंने सरपंच से इन मामलों में सवाल करने का प्रयास किया तो उन्हें धमकाया गया। एक पंच ने बताया कि सरपंच द्वारा खुलेआम कहा गया – “तुम लोगों के बिना प्रस्ताव और बिना पूछे ही पैसा निकाल लूंगा, तुम लोग कुछ नहीं कर सकते। जो चाहूं, कर सकता हूं।” इस प्रकार की भाषा और रवैया सरपंच की तानाशाही मानसिकता को दर्शाता है। यह भी आरोप लगाया गया है कि सरपंच और सचिव आपसी मिलीभगत से विकास कार्यों के नाम पर कागजों पर काम दिखाकर भुगतान करवा रहे हैं। सचिव पर जबरदस्ती दबाव बना कर राशि आहारण किया जा रहा यदि ऐसा चलता रहा तो गाँव के साथ साथ देश का विकास भी स्थिर हो जायेगा।

संवैधानिक पद की अवहेलना, पंचो का अपमान :-

पंचों का कहना है कि वे भी जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि हैं। ग्राम पंचायत के प्रत्येक वार्ड से चुनकर आए पंचों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे अपने-अपने वार्ड की जरूरतों और समस्याओं को पंचायत में रखें, ताकि गाँव का समुचित विकास हो सके। लेकिन जब पंचों को ही जानकारी नहीं दी जाएगी, बैठकों से बाहर रखा जाएगा और उन्हें धमकाया जाएगा, तो फिर लोकतांत्रिक प्रक्रिया का क्या औचित्य रह जाएगा? एक पंच ने कहा, “हमारा पद केवल दिखावे के लिए नहीं है। हमें जनता ने चुना है, और हम उनके प्रति जवाबदेह हैं। अगर सरपंच ही हमें फँसाने की धमकी देंगे, और विकास की राशि का दुरुपयोग करेंगे, तो हम चुप नहीं बैठेंगे। यह मामला जिला प्रशासन तक जाएगा।”

प्रशासन से की जाँच और कार्यवाही की मांग :-

पंचों और ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से जिला प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। सभी विकास कार्यों की गुणवत्ता, प्रस्तावों की सत्यता, भुगतान प्रक्रिया और बैठक की उपस्थिति आदि की समीक्षा कर दोषियों पर सख्त कार्यवाही की जाए।

ग्रामीणों मे भी नाराजगी :-

पंचों के साथ-साथ गाँव के कई जागरूक नागरिकों ने भी सरपंच की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि पंचायत में पारदर्शिता नाम की कोई चीज़ नहीं बची है। गाँव के विकास कार्य ठप हैं और जो भी काम कागजों में दिखाए जा रहे हैं, वे धरातल पर नजर नहीं आते।

भारत का संविधान पंचों को ग्राम पंचायत की निर्णय प्रक्रिया में समान अधिकार देता है। बिना पंचायत की सामूहिक बैठक और बहुमत से पारित प्रस्तावों के कोई भी वित्तीय निर्णय लेना नियम विरुद्ध है। इसके बावजूद यदि पंचायत निधियों का दुरुपयोग हो रहा है, तो यह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। ग्राम पंचायत मंधाईभाठा का यह मामला केवल एक पंचायत की आंतरिक कलह नहीं है, यह लोकतांत्रिक मूल्यों, ग्राम स्वराज और पारदर्शी प्रशासन के विरुद्ध गंभीर चुनौती है। यदि समय रहते प्रशासन ने सख्त कदम नहीं उठाया, तो यह अन्य ग्राम पंचायतों के लिए भी एक खतरनाक उदाहरण बन सकता है।

गोपी अजय mtvindiavoice

मुकेश साहू
संपादक एम टीवी इंडिया वाइस

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