
शासन के नियम, डिज़ाइन और एस्टीमेट को दरकिनार कर भ्रष्टाचार का खुला नाच
सरसींवा (सारंगढ़-बिलाईगढ़):- ग्राम पंचायत बम्हनपुरी में पंचायत प्रशासन द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्यों ने शासन की योजनाओं और मंशा दोनों को कठघरे में ला खड़ा किया है। हाल ही में पदभार संभाले नए सरपंच ने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही जिस प्रकार भ्रष्टाचार की परतें खोलनी शुरू की हैं, वह चिंताजनक ही नहीं, बल्कि जनविश्वास को गहराई से ठेस पहुंचाने वाला है। सूत्रों से मिली जानकारी और स्थानीय लोगों की शिकायतों और मीडिया सूत्रों के अनुसार पंचायत द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यों में शासन द्वारा स्वीकृत एस्टीमेट, डिज़ाइन और तकनीकी मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। विशेष रूप से नाली निर्माण में लापरवाही और मनमानी का स्तर देखकर साफ प्रतीत होता है कि ग्राम पंचायत ने भ्रष्टाचार के नए रिकॉर्ड कायम करने की ठान ली है।
पीसीसी की जगह लाल पत्थर, और सरिया की माप में भारी गड़बड़ी
नाली के बेस में शासन द्वारा पीसीसी (Plain Cement Concrete) डालने का प्रावधान था, जो संरचना की मजबूती के लिए अनिवार्य है। लेकिन पंचायत ने उस स्थान पर लाल पत्थर भरवा दिया और उसके ऊपर सीधे आरसीसी (Reinforced Cement Concrete) करवा दी, जो तकनीकी रूप से पूर्णतः त्रुटिपूर्ण और गैर-कानूनी है। इससे न केवल निर्माण की गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न लगते हैं, बल्कि भविष्य में यह पूरी संरचना ध्वस्त होने की कगार पर खड़ी हो सकती है।
इतना ही नहीं, आरसीसी में दो सरिया (लोहे की छड़) के बीच 6 से 8 इंच की दूरी रखी जानी चाहिए, जबकि कार्य स्थल पर 1.5 से 2 फीट तक का फासला दिया गया है, जो कि नियमों के घोर उल्लंघन का प्रमाण है। इससे यह स्पष्ट होता है कि निर्माण सामग्री में कटौती कर पैसे की खुली बंदरबांट की जा रही है।
पंचायत स्वयं कार्य एजेंसी, ठेकेदार की भूमिका में सरपंच और सचिव
इस कार्य के लिए कोई निजी ठेकेदार नियुक्त नहीं किया गया है। कार्य एजेंसी स्वयं ग्राम पंचायत है, यानी निर्माण का पूरा ज़िम्मा सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक के कंधों पर है। ऐसे में जब इतने बड़े पैमाने पर तकनीकी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं, तो सीधे-सीधे यह पंचायत प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है। इससे यह भी संदेह गहराता है कि यह सब जानबूझकर शासन के पैसों का गबन करने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
जनपद पंचायत की चुप्पी: मिलीभगत की बू?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों का यह भी आरोप है कि जनपद पंचायत बिलाईगढ़ के अधिकारी इस कार्य में मूकदर्शक बने हुए हैं, या फिर उनके संरक्षण में ही यह सब चल रहा है। नियमानुसार निर्माण कार्यों का पर्यवेक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण जनपद पंचायत की जिम्मेदारी होती है, लेकिन जब वहां से कोई आपत्ति नहीं आ रही, तो यह आशंका स्वाभाविक है कि पूरा तंत्र भ्रष्टाचार की जद में है।
ग्रामीणों में आक्रोश, जांच की मांग
इस भ्रष्ट निर्माण कार्य को लेकर ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि सरपंच और सचिव जनता की मेहनत और सरकार की योजनाओं के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगी, तो पूरा विकास कार्य एक मज़ाक बनकर रह जाएगा।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस कार्य की स्वतंत्र तकनीकी जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। अन्यथा, वे जिला स्तर पर आंदोलन और धरना-प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे।
